लखनऊ. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ (Lucknow) में कम से कम एक घर तो होना ही चाहिए. घर नहीं भी ले सकें तो कम से कम जमीन का टुकड़ा ही लेकर छोड़ दिया जाए. आम तौर पर घरों में ऐसी बातें रोज ही सुनने को मिल जाया करती हैं. राजधानी में निवेश या फिर रिहायश किसकी इच्छा नहीं होती है. शहर में जो लोग किराये पर रह रहे हैं, उनको अपने घर की तलाश है और जो नौकरी के कारण बाहर रह रहे हैं, उन्हें जमीन की तलाश है.
ऐसे में यह जानना जरूरी है कि लखनऊ में घर और जमीन के क्या रेट चल रहे हैं. शहर के स्थापित इलाकों में अब न तो जमीन बची है और न ही घर. इसीलिए शहर के चारों तरफ घर और जमीन की मार्केट गर्म है. पहले नोटबन्दी और बाद में कोरोना के कारण आयी सुस्ती अब धीरे-धीरे टूट रही है. लखनऊ की बात करें तो इसके चारों तरफ जमीन और घर की मांग बढ़ती जा रही है. खासकर आउटर रिंग रोड किसान पथ के बनने के बाद. कानपुर रोड से शुरू करें तो वहां से हरदोई रोड, सीतापुर रोड, देवा रोड, फैज़ाबाद रोड, सुल्तानपुर रोड और मोहनलालगंज रोड पर जमीनों के साथ-साथ बने बनाये घर का भी बाजार गर्म है. इनमें से कुछ तो सरकारी जबकि बाकी काम प्राइवेट डेवलपर कर रहे हैं